Monday, January 31, 2011

जी.पी.एम. की केंटीन

जी.पी.एम. मतलब गेंद प्रसाद मिश्रा की केंटीन...केंटीन काफी पुरानी है,बाहर लगी रेटलिस्ट को पढ़कर समझा जा सकता है...बिलासपुर के उसलापुर रेलवे स्टेशन के भीतर गेंद प्रसाद मिश्रा की लाइसेंसी केंटीन के बाहर लगे टिन के बोर्ड को देखकर लगा पुराने ज़माने या यूँ कहें की पुराने खयालात के लोग आज भी चकाचौंध से कोसो दूर है...तभी तो मिश्रा जी की दूकान पर एक टीन के टुकड़े पर सफ़ेद-काले पेंट से लिखा है समोसा ४ रुपया,प्याजी बड़ा ३ रुपया,चाय ३ रूपया और वगैरह-वगैरह .....उसलापुर की रेलवे केन्टीन या यू कह दूँ की मिश्रा जी की दूकान से ज्यादा प्रभावी मुझे बाहर लगी रेटलिस्ट लगी...ग्लो साइन,फलेक्स के जमाने में टीन पर हाथ से लिखी रेट लिस्ट,दूसरे उस रेटलिस्ट का महंगाई की मार से प्रभावित ना होना मुझे ज्यादा प्रभावी कर गया...मिश्रा जी की दूकान पर लगी रेटलिस्ट के मुताबिक़ नमकीन ८० रुपये किलो है...बाजार में ८० रुपये किलो में बेसन नही मिल रहा है और मिश्रा जी उससे कम दाम में नमकीन बेच रहे है...नमकीन कैसी है मै नही जानता क्योंकि कभी खाने का मौक़ा नही लगा...इस महंगाई में जिस प्याज का छिलका भी स्टेटस सिम्बल माना जाता हो वैसे में मिश्रा जी प्याजी बड़ा ३ रुपये नग में बेचकर अर्थ शास्त्रियों के लिए चुनौती खड़ी कर रहे है....सबसे मजे की बात ये की ३ रुपये में पूरे ५० ग्राम वजन का प्याजी बड़ा...समोसा उतने ही वजन का कुछ महंगा है...चार रुपये देकर ५० ग्राम वजनी समोसा...है ना कमाल ...इससे बड़ा कमाल तो ये की वजन अन्दाजी है और माल भी....मतलब समोसे को तौल कर बेचा जा रहा हो ऐसा नही है...पंडित जी ने अपने जमाने में कही देखा-सूना होगा की कीमत के बगल में वजन लिखना जरुरी है सो लिख दिया...वैसे सरकारी नियम वजन लिखने को कहता है...जब मै केन्टीन के बाहर की तस्वीर खीच रहा था तो मिश्रा जी भीतर मटमैले रंग के एक बर्तन में शायद मैदा गूथ रहे थे समोसा बनाने के पहले की मशककत जारी थी ...रेलवे की मेहरबानी कहे या अधिकारियों की कामचोरी जो लोगो को सहूलियत देने से बच रहे है...केन्टीन को जब लाइसेंस लेकर खोला गया तब वक्त कुछ और था आज ज़माना कुछ और ....अरे अब तो स्टेशन की सूरत भी बदलते वक्त के साथ बदल गई ऐसे में मिश्रा जी का ५० ग्राम वजन वाला ३रुपया में प्याजी बड़ा,४ रूपये वाला समोसा कितना मसालेदार और लजीज होगा कम से कम मै तो अंदाज लगा ही चूका हूँ...
                                                      चाय,काफी और पानी की आड़ में मिश्रा जी पान-गुटका,सिगरेट भी धडल्ले से बेच लेते है...इसके अलावा भी कुछ होगा तो मैंने नही देखा...कानून कहता है सिगरेट,पान मसाला जैसी चीजे रेलवे स्टेशन पर बेचना जुर्म है पर मिश्रा जी तो लाइसेंसी है फिर उन्हें किस बात का डर....? कानून जो बेचने की इजाजत देता है...या फिर जिसको बेचने का लाइसेंस रेलवे ने दिया है वो सब का जिक्र तो टीन के बोर्ड पर है ही...फिर सब कुछ लिखकर भी तो नही बेचा जाता...कई चीजे है जो छिपाकर ही बेचीं जाती है और मिश्रा जी ५० ग्राम-१०० ग्राम की आड़ में शायद वही सब बेच कर घी भी पी रहे है और कथरी ओढने का ढोंग भी कर रहे है....खैर मुझे जिस टीन के महंगाई मुक्त रेट लिस्ट से मतलब था उसे मै इस पोस्ट पर लगा कर आप से ही पूछता हूँ क्या मिश्रा जी वाजिब दाम में वाजिब चीजे बेच रहे है....?

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