बैसाख की गर्म हवाओ के बीच सूबे के मुखिया डॉक्टर रमन सिंह इन दिनों ग्राम-सुराज के जरिये प्रदेशव्यापी दौरे पर है...सूबे का मुखिया आवाम की नब्ज टटोलने उड़न-खटोले में घूम-घूम कर देख रहा है की उसकी जन कल्याणकारी योजनाओ का असल लाभ जनता-जनार्दन को मिल रहा है या फिर केवल सरकारी कागजो पर ही सरकारी घोड़े दौड़ लगा रहे है ...ये कोशिश डॉक्टर २००५ से कर रहें है...साल में एक बार ग्राम-सुराज के जरिये रमन सिंह गाँव-गाँव जाकर जरुरतमंदो की नब्ज पर अपना अनुभवी हाथ रखकर उनकी समस्याओ के इलाज की तमाम कोशिशे कर रहे है....जनता से सीधा संवाद,समस्याओ के त्वरित निराकरण की कोशिश और कई बाते जो डॉक्टर की संवेदनशीलता का परिचय देती है...आयुर्वेद चिकित्सक के रूप में जीवन की शुरुवात करने वाला डॉक्टर चाहता है उसके राज्य में सब खुशहाल रहें...तभी तो राज्य के ३२ लाख से अधिक परिवार सरकारी खाद्यान्य को खाकर अघाए हुए है...ये सरकार और सरकारी तंत्र कहता है...सूबे का मुखिया चाहता है वो छत्तीसगढ़ को देश के अग्रणी राज्यों की सूचि में सबसे ऊपर लाकर खड़ा कर दे...राज्य में चिकित्सा सुविधा,शिक्षा,सड़कें,बिजली,पानी और सिंचाई के पर्याप्त संसाधन हो....उस दिशा में सरकार और सरकारी तंत्र की कोशिशे जारी है...सत्ता में आने के बाद मुफ्त के चावल ने डॉक्टर की छवि जनता के बीच "चाउर वाले बाबा"के रूप में बनी जिसे अजीत जोगी जैसे तेज-तर्रार नेता ने दारु वाले बाबा के रूप में प्रचारित करने की कोशिश की...नतीजतन डॉक्टर ने इस साल राज्यं में २५० दुकाने बंद कर २०० करोड़ रुपये का घाटा सहन किया और इस बार गाँव-गाँव में दारु के मुद्दे पर खूब तालियाँ बटोर रहे है..
ग्राम सुराज अभियान के तीसरे दिन यानि आज {२१ अप्रैल}डॉक्टर प्रदेश के अलग-अलग जिलो में जनता के बीच करीब ७ घंटे रहे...कई अधिकारीयों पर कारवाही की गाज गिरी तो कुछ चेतावनी देकर बख्श दिए गए...ग्राम सुराज के जरिये गाँव-गाँव पहुँचते डॉक्टर कभी पीपल पेड़ की छाँव के नीचे तो कभी किसी गरीब की चौखट पर बैठकर आने वाले समय की तस्वीर तैयार कर रहें है ....सरकारी मशीनरी सरकार की योजनाओं का कितनी ईमानदारी से क्रियान्वयन करवा रही है इसका आंकलन भी किया जा रहा है...कोरबा जिले के पुटा ग्राम में जनता की शिकायतों को गंभीरता से लेते डॉक्टर ने तत्काल एक भ्रष्ट तहसीलदार को निलंबित करके सन्देश दे दिया की जनता से बढकर कोई नही है..
मैंने बिल्हा विकासखंड के ग्राम मंगला-पासिद में आयोजित वृहद् किसान सम्मलेन को देखा,तपती धूप में सैकड़ो लोगो की उम्मीद भरी निगाहे सूबे के मुखिया का इन्तेजार कर रही थी...दोपहर १२ बजे से ढोकर लाये गए लोगो का इन्तजार ३ बजकर ५२ मिनट १३ सेकेंड में ख़त्म हुआ...धूप में झुलस रहे लोगो के ऊपर से घूमता हुआ हेलीकाप्टर पास बने हेलीपेड पर उतर गया...हेलीकाप्टर के उतरने से गर्दो-गुबार की आंधी में कुछ देर के लिए सब खोया-खोया नजर आया...जब धुल का गुबार ख़त्म हुआ तो सूबे के मुखिया सहयोगी अफसरों के साथ नीचे आये....लोगो की भीड़ का हाथ हिलाकर डॉक्टर ने अभिवादन किया और बारी-बारी से औपचारिकतायें पूरी करते मंच पर आ गए....सरकार मंच पर महंगे पंखो की हवा और धूप की दिशा के विपरीत बनाये गए मंच की छाँव में थी...सरकार जिनकी खुशहाली और जरुरतो को जानने निकली है वो आम-आदमी सामने धूप में सर और चेहरा ढंके जमीन पर बैठा था...बैठते नही तो जाते कहाँ,क्योंकि भीड़ जो राज्य के मुखिया को दिखाई दे रही थी वो आई नही ढोकर लाई गई थी...फिर भी नेता खुश थे की चिलचिलाती धूप में जनता उनका इन्तेजार करते बैठी है....बड़े नेताओ के कार्यक्रमों में भीड़ जुटाने का काम आज से नही हो रहा है....दशको बीत गए,नेता के कद-काठी के मुताबिक भीड़ की जिम्मेवारी दे दी जाती है...खैर मंच पर मुख्यमंत्री का बड़ी-बड़ी मालाओ से स्वागत किया गया...छोटी मालाएं मंत्रियो के लिए थी...स्वागत करने वाले भी नए नही थे...पार्टी के वही चेहरे जो हर सभा में खुद खरीद कर लाई गई मालाओ से स्वागत करते है वो यहाँ भी दिखे...नौकरशाहों को भी माला पहनाने का बराबरी से मौक़ा मिला,बस माला नही पहना सकी तो सामने धूप में बैठी जनता...माला पहनाने वाले,पहनने वाले मंच पर सूखे गले की प्यास ठडे जूस से एक साथ बुझाते रहे और जनता धूप में पानी की तलाश में नजरे यहाँ-वहां घुमती रही...
स्वागत-सत्कार और गला तर होने के बाद बारी जनता से अपनी उपलब्धिया बताकर उनकी मनह स्थिति जानने की थी....मंच संचालन करने वाले नेताजी ने सबसे पहले राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री कृष्ण मूर्ति बाँधी को बुलाया...किसी दुर्घटना में पैर की हड्डी टूट गई थी सो बैसाखी के सहारे माइक तक पहुंचे...जमकर सरकार की तारीफ...बोलते-बोलते बोल गए सरकार ने मस्तुरी विधानसभा में करोडो के काम करवाएं है,लेकिन कई समस्याएं आज भी है...कई ऐसी मांगे है जिनके पूरा होने से जनता राहत महसूस करेगी... ५ साल सरकार में मंत्री रहे बाँधी जी बोले बरसो से उनके इलाके में नए ट्रांसफार्मर नही भेजे गए जिसके चलते लो वोल्टेज की समस्या बनी हुई है...उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया की मस्तुरी नगर पंचायत को एक जे.सी.बी.मशीन दे दी जाये रोजगार गारंटी के काम की जरुरत नही पड़ेगी...मतलब नेताजी साफ तौर पर ये कह गए की लोगो को रोजगार मत दीजिये एक अदद मशीन दे दीजिये सारा काम हो जायेगा...बाँधी जी मंत्री रहते काफी सुर्खियों में रहे,लगातार दूसरी बार जीते भी तो डॉक्टर{रमन}ने उन पर भरोसा नही जताया...अब बेचारे यहाँ-वहां मौक़ा मिलते ही भड़ास निकाल लेते है....
समय कम था इसलिए दो मंत्रियो को बोलने का मौक़ा नही मिला,बारी जब विधानसभा अध्यक्ष की आई तो वो सरकार का यशगान ऐसे करने लगे जैसे कोई हनुमान चालीसा का पाठ करता हो....रमन गान करते धरम लाल कौशिक ने भी कुछ मांगे रखी ....सबके बोलने के बाद डॉक्टर की बारी आई...उन्होंने सबसे पहले अपने चिर-परचित अंदाज़ में बोलना शुरू किया,सिंचाई,खाद्यान,रोजगार गारंटी,स्वास्थ्य के मुद्दों पर सरकारी आंकड़ो के दम पर खूब बोले...हाँ इस बार जनता चावल,नमक पर तालियाँ पीटने की बजाय शराब के मुद्दे पर रमन जिंदाबाद के नारे लगाती रही...डॉक्टर रमन जनता की नब्ज टटोल रहे थे,तालियाँ बजी तो समझ गयें की यहीं से कोई उम्मीद की किरण निकल सकती है....रमन सिंह ने कहा की सरकार के जिम्मे परिवर्तन नही हो सकता...जनता को,समाज को जागरूक होना पड़ेगा...सबकी जिम्मेवारी है समाज से बुराई को मिटायें....मतलब रमन जी अभी से समझने की कोशिश में जुट गयें है की मिशन २०१४ को कैसे फतह किया जाये....
ग्राम-सुराज के जरिये समस्या जानकर सुलझाने की कोशिश में एक बार फिर गांव-गाँव घुमती सरकार क्या उन समस्याओ को जान रही है जिनके आवेदन पिछले बरस आये थे...? उन समस्याओ का क्या हुआ जिसके लिए कल तक कलेक्टर के दफ्तर में लोग कागजी पुलिंदा लिए खड़े थे...? नौकरशाह या फिर सरकार उन गांवो में क्यूँ नही जा रही जहाँ पिछली बार गई थी...? ऐसे कई सवाल जिसे पूछने पर सरकार और नौकरशाह दोनों नाराज हो जाते है....मिडिया थोड़ी बहुत कोशिश कर रहा है सच सामने आये...मिडिया की परेशानी है वो सरकार से विज्ञापन की खुराक ले रही है सो ज्यादा नही लिखा सकती....आम जनता बोले तो किससे बोले....खासकर वो भीड़ जो आई नही जुटाई गई हो...जिस भीड़ के लिए नेताओ ने नाच-गाने के जरिये मनोरंजन की व्यवस्था की हो उससे कुछ उम्मीद करना भी बेमानी है....वो जनता क्या बोलती जो चिलचिलाती धूप में छोटे-छोटे बच्चो को लिए सूबे के मुखिया के जाने के बाद सुबह से बनी पुड़ी-आलू के पैकेट का इन्तजार कर रही थी..इन तमाम बातो को धूप में बैठी खामोश जनता समझ रही है,जनता मंच पर हो रहे नाच को देखकर सफेदपोशो और नौकरशाहों के चेहरे पहचान रही है....नेता जी भूल रहे है की जनता की बदौलत ही लाल बत्ती,सुरक्षा,और तमाम संसाधन मिले है....जमीन पर बैठे पुड़ी-आलू की सब्जी और मंच पर नेताओ को जूस पीते देख पानी की तलाश करते लोग ही आने वाले समय में तकदीर का फैसला करेंगे...वैसे ढोये उस दिन भी जायेंगे, ढोये आज भी गए है...
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