अमर भईया के ४९ वें जन्म दिन{२२सितम्बर}पर जिले को "संजीवनी" मिली...अमर भईया बिलासपुर विधानसभा से तीसरी बार विधायक है और फिलहाल सरकार में स्वास्थ्य के अलावा आबकारी विभाग के मंत्री है...प्रदेश में मंत्री जी को कौन किस नाम से पुकारता है मुझे नही मालुम लेकिन बिलासपुर में १५ साल के किशोर से लेकर ८० साल का बुजुर्ग भी उन्हें अमर भईया ही कहता है...गुरूवार को भईया का जन्म दिन था,पूरे शहर में निमंत्रण कार्ड बटा...व्यापार विहार के त्रिवेणी सभागार में सरकारी आयोजन के बीच भईया के जन्म दिन का केक कटा...जो मंत्री जी को करीब से जानते है वो खास मौके पर पूरे समय मुस्कुराते रहे जैसे घर में लड़की की बारात आई हो...सबसे दिलचस्प बात जो बिन बुलाये मेहमान थे वो जान पहचान वालो से ज्यादा खिल-खिला रहे थे ताकि किसी को बिन इनविटेशन वहां पहुँचने का आभास न हो सके ...खैर जन्मदिन के बहाने मंत्री जी ने सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना की शुरुवात बिलासपुर जिले में की जो लोगो की जान बचाने के लिए १०८ नंबर डायल करते ही मौके के लिए रवाना हो जाएगी...

तमाम राजनैतिक बयानों के बीच किसी ने ये नही कहा की जिले में कई ऐसे स्वास्थ्य केंद्र है जहां डॉक्टर तक नहीं है...कई स्वास्थ्य केन्द्रों के ताले यदा-कदा खुलते है जिसको सरकार के मंत्री भी जान रहे है,विपक्षी लोग भी जानते है और वहां मौजूद नौकरशाह भी हकीकत से वाकिफ है मगर खास इतेफाक किसी को नही रहा, वैसे भी वहां मौजूद लोगो की हैसियत के मुताबिक़ शहर में कई हॉस्पिटल है ...और फिर जन्मदिन शहर में शहरी समर्थको के बीच सरकारी आयोजन के जरिये मनाया जा रहा था ऐसे में गरीबो के स्वास्थ्य का ख्याल जहेन में लाकर भला किसे मुह का टेस्ट बिगाड़ना था,सो सब वाह-वाह करके तालियाँ ऐसे ठोंकते रहे जैसे सर्कस में जोकर कोई नया करतब दिखाता है....वैसे भी तखतपुर के विधायक ने अपने संबोधन में मंत्री जी को दवा-दारु का इन्तेजाम अली बताकर लोगो को ठहाका लगाने का मौक़ा कई बार दिया...खैर सरकार की कई योजनाओं का हश्र मैंने करीब से देखा है,यकीं से कह सकता हूँ आपने भी देखा होगा मगर सरकार के खिलाफ वो लोग भी खुलकर नही बोल पाते जिन्हें योजनाओं की सफलता के लिए जिम्मा दिया जाता है....लचर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ साथ सिम्स की बदहाली को करीब से मैंने देखा है...मैंने देखा है मेडिकल कालेज में टॉर्च की रौशनी में ओपरेशन होते,मैंने देखा है भईया के इलाके के उन स्वास्थ्य केन्द्रों को जहां डॉक्टर के आभाव में मरीज आज भी दम तोड़ देते है...पर सब कुछ जानकर मै भी खामोश हूँ,कुछ कर नही सकता क्यूंकि जहां काम करता हूँ वहां भी भईया का दबदबा है इस वजह से केवल यही कह सकता हूँ की देखते है संजीवनी एक्सप्रेस जिले की खराब सडको पर कितनी रफ़्तार पकड पाती है...?
jitni taarif karun kam hai satyprakash ji,apke likhne ka andaj kafi alag hai ! aaj ki hakikat ko shabdo me dhalna kam hi log jante hai ! badhai ho achhe lekh ke liye..
ReplyDelete