Wednesday, December 22, 2010

वो दबंग बना रहा और...

 एस.पी.नकारा है....पुलिस किसी काम की नही रही...जब से थोरात आया है तब से अपराधियों के हौसले कुछ ज्यादा ही बुलंद हो गए है...ऐसी तमाम बाते इन दिनों शहर के हर आदमी की जुबान से सुनाई दे जाती है...ये चर्चा स्वाभाविक भी है... शहर को पिछले कुछ महीनो से अशांत करने की कोशिश होती रही और जिले का पुलिस कप्तान आँखे मूंदे बैठा रहा...शायद यही वजह रही की लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की एक मजबूत ईंट को रविवार {१९दिसम्बर}की रात कुछ दहशतगर्दो ने गोली मारकर धराशायी कर दिया...दैनिक भास्कर के पत्रकार और प्रेस क्लब के सचिव सुशील पाठक की गोली मारकर ह्त्या कर दी गई...वारदात के करीब ४८ घंटे बाद तक पुलिस केवल हत्यारों की परछाई तलाशती रही...इधर अमन के शहर में रहनेवालो ने जमकर आक्रोश दिखाया तो कुछ संदेहियो को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई लेकिन नतीजा सिफर रहा...पत्रकारों और शहर के आवाम ने नकारे एसपी को हटाने के लिए जोरदार आवाज तो उठाई साथ ही सुशील के कातिलो को शीघ्र गिरफ्तार करने की मांग को लेकर आज {२२ दिसंबर}नेहरू चौक पर धरना भी दिया....सबने माना शहर काफी अशांत हो चुका है और उसके लिए जिम्मेदार केवल पुलिस महकमा है...अक्षम पुलिस कप्तान की टीम के सारे खिलाड़ी भी ऐसे जिनसे आवाम की हिफाजत की उम्मीद करना बेमानी है....सुशील की मौत की गूंज पूरे प्रदेश में थी इस कारण शासन,प्रशासन सकते में था....नेहरू चौक पर सैकड़ो लोगो की भीड़ इस बार दूसरे मूड में थी,हर कोई असुरक्षित महसूस कर रहा था इस कारण आवाज में ख़ास तरह की गुर्राहट थी...पुलिस कुछ समझ नही पा रही थी,जिनको पकड़ा उनसे कुछ ख़ास सुराग नही मिला...पुलिस वाले इस बार बुरे फंसे थे...इस बार पूरे शहर की नजरे थी आखिर खाकी कातिल तक कब और कैसे पहुंचती है...शहर के अमन-चैन को लौटाने की वकालत करते लोगो की भीड़ में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी,उनकी धर्मपत्नी कोटा विधायक डॉक्टर रेणु जोगी भी थी....मंच एक था,लोगो की पार्टिया और गुट जरूर अलग-अलग थे...शाम करीब ३ बजे तक धरना-प्रदर्शन चलता रहा....दूसरे दिन यानि २३ दिसंबर को मशाल जुलूस निकालकर लोग आगे की रणनीति तय करते ठीक उससे पहले ही निकम्मे कप्तान को हटाने का फरमान सरकार ने दे दिया...दरअसल जिस एसपी को हटाने की मांग आज की जा रही थी उसे करीब तीन महीना पहले ही हटा दिया जाता लेकिन कुछ ऐसा हुआ जिसके कारण बिगड़ी बात बन गई...ये वही एसपी था जिसके फ़िल्मी शौक ने एक टॉकीज के सुरक्षा कर्मी की जान ले ली थे...परदे पर सलमान की दबंगई का नशा इस अधिकारी पर ऐसा छाया की इसे इस बात का इल्म ही नही रहा की शहर दहशतगर्दो के आतंक से सहमा हुआ है....जिले के पुलिस कप्तान ने  सलमान अभिनीत फिल्म दबंग देखी जिसमे एक भ्रष्ट पुलिस अधिकारी का किरदार शायद इसे खूब भाया...वैसे पोस्टिंग काफी महँगी थी इस कारण वसूली पर साहेब ने ज्यादा ध्यान दिया...वो कानून व्यवस्था को भगवान्-भरोसे छोड़कर नोट बटोरने में लगे रहे...इधर आतंक की काली छाया शहर को घेरती रही....नतीजा एक पत्रकार की गोली मारकर ह्त्या कर दी गई और पुलिस केवल हवा में हाथ पैर मारती रही...आखिरकार लोगो को संस्कारधानी में अमन के लिए सड़क पर उतरना पड़ा...जनाक्रोश का ख़याल सरकार ने रखा और दबंग बने थोरात को हटाकर अजय यादव को जिले की कानून व्यवस्था का जिम्मा सौपा गया है....उम्मीद की जा रही है की नए सिरे से व्यवस्था बनेगी और अशांत होते शहर का अमन जल्दी ही लौट आएगा.....

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