Sunday, November 28, 2010

"कंगाल निगम" करोडपति इंजीनियर...

राजकिशोर नगर स्थित माणिक का निवास
करोड़ो का असामी इंजिनीयर माणिक 
बैंक सा सील लाकॉर जिससे ४० तोला सोने के जेवरात मिले
 वैसे तो नगर निगम की माली हालत काफी ख़राब है...कर्मचारियों को बाँटने के लिए रूपये नही है...शहर का  विकास भी तभी संभव होगा जब निगम के पास पर्याप्त राशि हो....इन दो लाइनों को पढ़कर आप भी निगम की खस्ताहाल स्थिति का आंकलन कर सकते है..."कंगाल"... जी हाँ...अगर मै ये कहू की नगर निगम कंगाल है और कंगाल निगम का कर्मचारी करोडपति है तो शायद आपको आश्चर्य हो सकता है...पर इस सच को जानकर आप और भी आश्चर्य करेगे की नगर निगम का केवल एक सब इंजीनियर ही करोडो का आसामी है...२५ नवंबर को एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने सब इंजीनियर चंद्रकांत माणिक के राजकिशोर नगर स्थित आवास पर छापा मारकर करीब  साढ़े तीन  करोड़ की अघोषित संम्पति  का खुलासा किया है...सब इंजीनियर ने शहर में लाखो रूपये कीमत का आलीशान घर बनवाया,लाखो के जेवरात,कई जगह जमीन और ना जाने क्या-क्या....माणिक तो एक छोटा सा प्यादा है...इससे बड़े-बड़े मगरमच्छ है जिन्होंने नगर निगम के खजाने को अपने बाप की बपोती  समझ ली है....जनता के रुपयों से आलीशान  घर,जेवरात और ना जाने क्या-क्या बनवाने वालो की एशोअराम  भरी जिन्दगी वास्तव में देखने लायक होती है....निगम का एक बड़ा वर्ग मेहनत के बदले महीने की पगार पाने कई बार इन्ही की चोखट पर दस्तक देता है...महीने भर मेहनत करने वाले को निगम का खजाना फ़िलहाल खाली होने का बहाना कर लौटा दिया जाता है..  ऐसे कई मामले है जो साबित करते है कि नगर निगम कितनी फकीर हो चली है ? सरकार है की मदद के नाम पर कुछ करती नही,ऐसे सवालो में उलझे लोगो के गाल पर झन्नाटेदार तमाचा मारते है माणिक जैसे लोग...पिछले छः-सात बरस में निगम कंगाल हो गया,विकास के नाम पर आई रकम ऊपर से लेकर नीचे तक, ओहदे के हिसाब से बाँट ली गई...शहर विकास की पूंजी भ्रष्ट अफसरों के विकास और उनके परिवार के एशोआराम पर खर्च हो गई...शहर गर्दो-गुबार की धुंधली चादर से ढका है,लोग गड्ढो में गिरकर अस्पताल के बिस्तर पर कराह रहे है,गन्दी और जाम पड़ी नालियां संक्रामक बीमारिया परोस रही है और भ्रष्टाचार के पेड़ पर अमरबेल की तरह लिपटे अफसर करोडो के मालिक बने बैठे है....एंटी करप्शन ब्यूरो ने निगम के एक प्यादे के गिरेबान को पकड़ा तो करोडो की चल-अचल संपत्ति बेनकाब हो गई...बिलासपुर नगर निगम में कई ऐसी भ्रष्टाचार की मजबूत शाखे   है जो एक विशाल पेड़ की शक्ल ले चुके है... वैसे कुछ अफसरान मलाई चाटकर प्रदेश की दूसरी जगह नए सिरे से जनता और सरकारी रूपये  अपने खातो में जमा करने की बुनियाद तैयार कर रहे है....
                                  नगरनिगमों में कई माणिक है जिन्हें  सरकार और जनता के खून-पसीने की कमाई  बिना डकार लिए हजम करने  की आदत पड़ चुकी है....जनता विकास की बाट जोह रही है,जोहती रहे...निगम के कर्मचारी मेहनत का वाजिब हक़ लेने भटक रहे है,भटकते रहें...खैर एंटी करप्शन के अधिकारियो ने चद्रकांत माणिक के यहाँ मिले जेवरात,नगद रकम  कोषालय में जमा करवा दिया है...माणिक जैसे भ्रष्ट कई सरकारी अफसरों की वैसे तो सही जगह जेल की चारदिवारी है लेकिन भारत में अब तक  करोड़ो डकारने वाले कितने बेईमान जेल गए अपने आप में बड़ा सवाल है.......

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