Friday, November 19, 2010

पुण्यतिथि और आदिवासी

बरों के इर्द-गिर्द घूमती जिन्दगी को हर दिन कुछ नया करने,सीखने और जानने की आदत पड़ चुकी है .....पिछले सोमवार को मालूम हुआ की मंगलवार {16 navmbar 2010} को  जिले की सबसे चर्चित विधानसभा मरवाही के बदरोदी गांव में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और अविभाजित मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह आ रहे है...."दिग्गी राजा" स्वर्गीय भवर सिंह पोर्ते जो की आदिवासियों के बड़े नेता रहे है उन्हें श्रधासुमन अर्पित करने पहुचेंगे .....राज्य गठन के बाद या यूँ कहू की करीब एक दशक बाद "दिग्गी राजा"को कव्हर करने का मौका मिल रहा था....मैंने अपने दफ्तर में जिम्मेदार व्यक्ति से बातचीत करने के बाद शहर से १८० किलोमीटर दूर ग्राम बदरोदी पहुँचने का कार्यक्रम बनाया.....उम्र और तजुर्बे के साथ-साथ पत्रकारिता के क्षेत्र में काफी अनुभवी कमल दुबे जी{मेरे बड़े भाई,सगे नही लेकिन सगे भाई से बढकर} के साथ मै मंगलवार की सुबह "दिग्गी राजा" को कव्हर करने उन्ही की कार में मरवाही के लिए निकल पड़ा.....दुबेजी को दूरदर्शन के अलावा कुछ और राष्ट्रीय चैनलों को ये खबर देनी थी,इस कारण सफ़र और दिनों की तुलना में कुछ अलग सा था....कुछ  परेशानियों को पार कर जब हमने पेंड्रा पहुंचकर "दिग्गी राजा" का लोकेशन लिया तो पता चला की वे कुछ ही देर बाद वापस दिल्ली के लिए निकल जायेंगे........सफ़र अभी करीब ३० किलोमीटर का बाकी था,मंजिल काफी दूर लग रही थी, जिस मार्ग {सिवनी}से कार्यक्रम स्थल तक पहुंचना था उस पर ठीक से पैदल चलना भी दूभर था लेकिन दुबेजी की हिम्मत के आगे मानो वक्त ठहर सा गया था...... दुर्गम रास्ते पर उछलती-कूदती कार में जब हम गाँव पहुंचे  तो पेड़ पर लगे  लाउडस्पीकर से आती आवाज सुनकर हम दोनों की जान में जान आई...सामने बने मंच से सांसद चरणदास महंत स्व.पोर्ते के विषय में बोल रहे थे....स्वर्गीय भंवर सिंह की १७ वीं पुण्यतिथि पर केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया और उनके बड़े भाई दिलीप सिंह भूरिया ने भी उनके योगदान और राजनीतिक पृष्ठभूमि का बखान किया.....दिग्गज नेतावो की भीड़ में क्षेत्र के विधायक और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी कही नजर नही आ रहे थे....मंच पर मौजूद जोगी के सुपुत्र अमित जोगी ने बताया की स्वस्थ्गत कारणों से उनके पिता{अजीत जोगी} को केरल जाना पड़ गया है....खैर तमाम लोगो को सुनने के बाद जब बारी दिग्विजय सिंह की आई तो मै मंच के पीछे से हटकर सामने की ओर आकर खड़ा हो गया....सबसे पहले "दिग्गी" चिर-परचित अंदाज में मुस्कुराये फिर कहा छत्तीसगढ़ से उन्हें काफी प्यार-दुलार मिला.....शायद दिग्गी राजा विद्याचरण शुक्ल के घर{राज्य गठन के तुरंत बाद रायपुर में झुमा झटकी} मिली इज्जत को अब तक नही भूल पाए थे.... दिग्गी की बातो को सुनकर भोले-भाले आदिवासियों ने मंच के पास से आये इशारे को देख तालिया भी बजा दी....सबसे पहले दिग्गी ने स्वर्गीय भवर सिंह पोर्ते को श्रधांजलि दी,इसके बाद उनसे अपने रिश्तो की प्रगाढ़ता का जमकर बखान किया.....स्वर्गीय पोर्ते को अपना बड़ा भाई बताने वाले कांग्रेस महासचिव ने ये भी कहा की स्व.पोर्ते के साथ कांग्रेस में अन्याय हुआ था....दिग्गी राजा ने कहा आदिवासियों की पीड़ा,उनकी जरूरत को उन्होंने  स्व. पोर्ते से ही सीखा है...स्व.पोर्ते से पारिवारिक रिश्तो की मिसाल देते-देते दिग्गी राजा राजनैतिक बयानबाजी पर उतर आए...उन्होंने कांग्रेस पार्टी को आदिवासियों की पीड़ा समझने वाली पार्टी बताया,दिग्गी ने कहा नेहरू,इंदिरा के बाद किसी ने आदिवासियों की पीड़ा और जरुरत को समझा है तो वो है सोनिया और राहुल गाँधी...सोनिया गाँधी ने वन अधिकार कानून बनवाया, वही उद्योगों की मार से हमेशा प्रभावित होने वाले आदिवासियों के लिए कई और जरुरी  कानून बनाये गए है....दिग्गी ने आदिवासियों की वकालत करते-करते ये भी कह दिया की जिन जगहों पर खनिज कंपनिया उद्योग खोलेगी वहाँ प्रभावित होने वाले आदिवासियों को खनिज का बाजार मूल्य का एक हिस्सा देना होगा,साथ ही प्रभावित आदिवासी को ३५ बरस तक १५ से ३५ हजार रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा भी देना पड़ेगा....इस बयान पर भोले आदिवासियों की बांछे कुछ देर के लिए जरुर खिल उठी लेकिन आदिवासियों के हिमायती बन रहे दिग्गी राजा शायद  भूल गए की अविभाजित और विभाजित मध्यप्रदेश की सियासत पर १० बरस तक उन्होंने भी राज किया है....इस देश में सर्वाधिक वक्त तक सियासी कुर्सी उन्ही की पार्टी {नेहरू,इंदिरा,सोनिया}के पास रही...फिर क्यों आदिवासी आज भी नंगे,भूखे और बुनियादी जरुरतो के मोहताज है ? खुद को आदिवासियों का रहनुमा बताने वालो को आधी सदी बीत जाने के बाद भी उस व्यक्ति का ख्याल नही रहा जिसकी वकालत वे अक्सर सियासी मंच से करते रहे है....पुण्यतिथि के बहाने खुद को आदिवासियों का शुभ-चिन्तक बताने वाले राजा बाबु ने भले ही किसी को एहसास ना होने दिया हो लेकिन वो जोगी विरोधी खेमे के लिए बंजर हो चुकी सियासी जमीन को सींचने आये थे...जोगी विरोधी खेमे की बात करे या फिर काग्रेस को नमस्ते कर चुकी हेमवंत पोर्ते की....कही ना कही जोगी के किले में सेंधमारी की कोशिश बड़े ही सुनियोजित तरीके से की गई....दिग्गी बाबु के बारे में कम ही लोग जानते है की वो मृदुभाषी और विनम्र सियासी जमात के लोगो में खासी पैठ रखते है....कुछ पीड़ा,कुछ सवाल मेरे जहन में कौधने लगे...मैंने अपने आप से सवाल किया  दिग्गी बाबु १० साल तक मुख्यमंत्री रहते आपने कितने आदिवासी गांवो को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा ?आप तो उस समय भी सीएम थे जब छत्तीसगढ़ अलग राज्य नही बना था, उस वक्त कितने आदिवासियों की जरुरतो का आपने ख्याल रखा ? अरे भोले भाले आदिवासी तो बरसो से अपने हित संवर्धन की बाते सुनते आये है परन्तु आदिवासियों का विकास नही हुआ,वो तो आज भी जमीन पर बैठकर सुनहरे भविष्य के सपने देख रहे है...
                                                                                                        सियासी मंच के जरिये,पुण्यतिथि के बहाने एक बार फिर आदिवासी याद आये ....भाषण खत्म हुआ तो दिग्गी,भूरिया और महंत के अलावा कुछ और नेताओ ने बंद कमरे में साथ बैठकर खाना खाया......खाने के बाद कुछ लोगो से भेंट मुलाकात की कोरी ओपचारिकता पूरी करते-करते दिग्गी राजा हेलीपेड पहुँच गए...चारो ओर सुनहरे भविष्य के सपने संजोये आदिवासी अपने कथित रहनुमा को जाते देख रहे थे....कुछ ही देर में आदिवासियों का रहनुमा आकाश की उचाइयो को छूने लगा और जमीन पर खड़े आदिवासी सिर उठाये विकास की बारिस का इंतजार करने लगे........

No comments:

Post a Comment