Friday, February 25, 2011

उसका नाम "शन्नो" है

आपने गुमशुदा इन्सान की रिपोर्ट थानों में लिखवाते देखा,सुना होगा मगर ये कम ही सुनाई पड़ता है कि किसी व्यक्ति का जानवर गुम हो गया हो और वो थानेदार साहेब के नाम लिखित शिकायत लिखकर अपने जानवर के खोज-बीन की गुहार लगा रहा हो...इस मामले में मेरा अनुभव हो सकता है कम हो,क्योंकि इस पोस्ट पर प्रकाश कुमार शर्मा नाम के एक सज्जन के लिखित शिकायत की जिस तस्वीर को मैंने लगायी है उसको पढ़कर पता चला की सज्जन की गाय कहीं गुम हो गई है...गुमशुदा इंसानों की हजारो तस्वीरे सार्वजनिक जगहों  पर दीवारों पर चस्पा देखि है,कई गुम इंसानों की खबरों को मैंने खुद लिखा है...मगर गाय की गुमशुदगी का ख़त वो भी खबर बनाने के लिहाज से मेरे हाथ आज पहली बार लगा है...थानेदार साहेब को गाय खोजने में कोई कठिनाई न हो इसका भी पीड़ित व्यक्ति ने ख्याल रखा है...गुमशुदगी के ख़त में थानेदार साहेब को बताया गया है "गाय लाल रंग की है...उसकी सींग खड़ी है और पूँछ लम्बी है...गाय की सींग में पीले रंग का पेंट भी लगा है...थानेदार साहेब को पत्र के जरिये ये भी बताया गया है की गाय जर्सी नस्ल की है...बात इतने पर ख़त्म होती तो भी ठीक था लेकिन शिकायतकर्ता ने पुलिस वालो को ये भी बता दिया है की जिस गाय की उनको तलाश करनी है उसका नाम शन्नो है..." पूरा ख़त पढकर मुझे कई तरह का अनुभव हुआ...जिसकी गाय गुम थी वो परेशान लग रहा था,मै उस यानी प्रकाश कुमार शर्मा जी के शिकायती पत्र को पढ़कर परेशान हो गया...जिस शहर में गुम इंसानों की तलाश पुलिस वाले नही कर पाते उन्हें सन्नो को खोजने के पहले रिपोर्ट दर्ज करने का ख़त मिला था...कोई हो न हो मै तो चिंता में पड़ गया कि आवाम की सुरक्षा में विफल खाकी किस तरह से सन्नो को खोजेगी...?   
                                                                वैसे कई मायनो में ये ख़त ख़ास भी है...जिस पुलिस को जनता की रक्षा का जिम्मा दिया गया है वो उसकी जानो-माल की दुश्मन बन बैठी है...अपराधी खाकी की तमाम सुरक्षा को ठेंगा दिखाकर अपने मंसूबो में कामयाब है...ऐसे में किसी इंसान ने पुलिस पर इतना तो भरोसा जताया की वो उसकी गुमशुदा गाय की रिपोर्ट लिखकर उसकी तलाश करे... 

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