Sunday, August 28, 2011

देश में होली,दीपावली...!

             भ्रष्टाचार के खिलाफ टीम अन्ना के साथ पूरा देश २९० घंटे तक एक स्वर में चिल्लाता रहा जन लोकपाल बिल को सरकार संसद में पेश कर उसे पारित करे...जनता की आवाज़ का असर हुआ,सरकार उन मांगो पर तैयार हो गई जिसे लेकर कई बार बात बिगडती रही...रविवार की सुबह अन्ना ने अनशन ख़त्म किया लेकिन ये भी साफ़ कह दिया की जीत अभी पूरी नही हुई है...अन्ना के अनशन तोड़ते ही देश में होली,दीपावली जैसा माहोल बन गया...ख़ुशी से सडको पर नाचते लोग रंगों में रंगे रहे...हर कोई दूसरी क्रांति में मिली सफलता का जश्न मना रहा था...चारो और ख़ुशी और अन्ना के जयकारे लगते रहे...मगर अभी बहुत कुछ होना बाकी है...
  भारत का मध्यम वर्ग उस मछली की तरह है जो पानी के गंदा होने की शिकायत करते-करते उसके बिना रहने की बात करने लगा है. भारत में भ्रष्टाचार रहित शहरी जीवन की कल्पना करने पर लगता है कि मानो व्यवस्था ही ख़त्म हो जाएगी...भ्रष्टाचार के बिना जीवन बहुत कठिन होता है. अपनी बारी का इंतज़ार करना पड़ता है, पूरे टैक्स भरने पड़ते हैं, बिना पढ़े-लिखे पीएचडी नहीं मिलती, सिफ़ारिश नहीं चलती, सबसे तकलीफ़देह बात ये कि जेब में पैसे होने के बावजूद हर चीज़ नहीं ख़रीदी जा सकती...भ्रष्टाचार करोड़ों लोगों की रगों में बह रहा है, भारत में सबसे ज़्यादा लोगों को रोज़गार देने वाला उद्यम भारतीय रेल या कोल इंडिया नहीं है बल्कि ईश्वर की तरह सर्वव्यापी भ्रष्टाचार है....अन्ना सही हैं या ग़लत इस बहस को एक तरफ़ रखकर सोचना चाहिए कि अगर अन्ना का आंदोलन सफल हो गया तो उन्हें ही सबसे बड़ा झटका लगेगा जो लोग सबसे बुलंद आवाज़ में नारे लगा रहे हैं और ट्विट कर रहे हैं.
                   इस आंदोलन के समर्थन में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो राजनीतिक भ्रष्टाचार से तंग आ चुके हैं और उन्हें लगता है कि जन-लोकपाल बिल से सिर्फ़ नेताओं की कमाई बंद होगी, उनका जीवन यूँ ही चलता रहेगा...जैसे मिलावट करने वाले दान भी करते हैं, पाप करने वाले गंगा नहाते हैं, उसी तरह बहुत से लोग भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ मोमबत्तियाँ जला रहे हैं, इससे मन को शांति मिलती है, ग्लानि मोम की तरह पिघलकर बह जाती है....अन्ना हज़ारे को इस बात श्रेय ज़रूर मिलना चाहिए कि उन्होंने भ्रष्टाचार को बहस का इतना बड़ा मुद्दा बना दिया है, हो सकता है कि यह एक बड़े आंदोलन की शुरूआत हो लेकिन अभी तो भावुक नारेबाज़ी, गज़ब की मासूमियत और हास्यास्पद ढोंग ही दिखाई दे रहा है....नेताओं का भ्रष्टाचार ग्लोबल वर्ल्ड में शर्मिंदगी का कारण बनता है, बिना लाइसेंस के कार चलाने पर पुलिसवाला पाँच सौ रुपए ऐंठ लेता है, ये दोनों बुरी बातें हैं, ये बंद होना चाहिए, क्या मध्यम वर्ग में सिर्फ़ मोमबत्ती जलाने वाले सज्जन लोग हैं जो दोनों तरफ़ से पिस रहे हैं? भ्रष्ट तरीक़े अपनाकर पैसा या रसूख हासिल करने वाले लोगों के प्रति सम्मान का भाव जब तक ख़त्म नहीं होगा भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ असली लड़ाई शुरू नहीं होगी...!

Tuesday, August 16, 2011

नई सुबह की पहली किरण के इन्तजार में....!

न्ना की आंधी इस देश में नया सबेरा लाएगी इसका यकीन हर उस हिन्दुस्तानी को हो गया है जो इस आजाद भारत से भ्रष्टाचार मिटाने की वकालत करता सड़क पर चिल्ला रहा है...इस देश में आज करोडो अन्ना उठ खड़े हुए है जो एक स्वर में जन-लोकपाल क़ानून की वकालत कर रहे है...मंगलवार यानी १६ अगस्त को अन्ना हजारे को जेल भेजकर सरकार ने देशवासियों को सन १९७५ के आपातकाल की याद दिला दी है... सरकार नेअना को जेल भेजा लेकिन उसके असर से केवल चंद घंटे तक ही बेखर रह सकी...शाम होते-होते सरकार को समझ आ गया की उन्होंने क्या कर दिया है,दुसरे शब्दों में कहूँ तो करीब १३ घंटे में सरकार दोनों खाने चित्त हो गई...पल-पल बदलते माहोल ने सरकार को इस नतीजे पर पहुचने पर मजबूर कर दिया की अन्ना को जेल से तत्काल रिहाई दे दी जाए...सरकार ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाकर लोकतंत्र के साथ केवल अन्याय ही किया...सरकार ने ये सार्वजनिक कर दिया कि उनकी नीतियों का जो भी खुलकर विरोध करेगा उसकी आवाज़ को कुचलने में कोई कोर कसर नही छोड़ी जाएगी...सरकारों के लिए सत्ता कि लड़ाई में हत्याएं करवाना,अपहरण जैसी घटनाओं को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिलाना अब आम हो चला है...इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा आश्चर्य कि बात तो ये है कि सरकार ने जिस व्यक्ति का अपमान किया है वो आज भी उस कमेटी का सदस्य है जिस कमेटी ने ड्राफ्ट बिल तैयार करने का काम किया है...आज कपिल सिब्बल हो या केंद्रीय गृह मंत्री पी.चिदम्बरम या फिर अम्बिका सोनी,ये अन्ना को भला-बुरा कहकर स्वयं का अपमान ज्यादा कर रहे है...यक़ीनन देश की सत्ता संभाल रहे सियासी सुरमा इस बात को नही समझ पा रहे है या फिर समझ कर अनजान बनने की कोशिश कर रहे है,हकीकत जो भी है लेकिन जनता उनके बयानों को समझ भी रही है और करतूतों पर अब आवाज़ भी मुखर करने लगी है...
                               वैसे ये बात तो अब आईने की तरह साफ़ हो गई है की सरकार एक व्यक्ति की ललकार से काफी डर चुकी है,अन्ना की ललकार में सरकार को करोडो देशवासियों की आवाज़ सुनाई पड़ने लगी है,यही वजह है कि अन्ना के खिलाफ चिल्ला रहे सुरमा भीगी बिल्ली बनकर अपने बयानों की गूंज को स्वयं ही सुन रहे है...इधर सरकार पूरी तरह से बेक फूट पर आ गई है,अन्ना सरकार के गले की हड्डी बन गए है जिसे सरकार ना निगल पा रही है ना उगल पा रही है...ये पूरा का पूरा मामला योग गुरु बाबा रामदेव से काफी अलग है,बेहद संवेदनशील मामला मानकर सरकार अब फूंक-फूंक कर कदम रखेगी ये माना जा सकता है...अन्ना के साथ जितने भी तरह के सरकारी अड़ंगे सरकार लगाती जायेगी उतनी ही तादात अन्ना के पीछे खड़ी नजर आएगी...वैसे भी कांग्रेस के खाते में चल रहे टू.जी. घोटाले,खेल प्रकरण,शीला दीक्षित का मामला पहले ही कांग्रेस की हवा निकाले हुए है...अन्ना को मिलते व्यापक जन समर्थन में कई सियासी दल भी एक होते दिख रहे है,जो केंद्र सरकार के अलावा शीला सरकार के खिलाफ आग में घी डालने का काम कर रहे है...खैर अन्ना फिलहाल तिहाड़ जेल में ही अनशन पर है,सरकार बार-बार अन्ना को मनाने की कोशिश में जुटी है की वो जेल से बाहर आ जाएँ ...अहिंसा की राह पर चलने का सन्देश पहले ही गांधीवादी अन्ना हजारे अपने समर्थको को दे चुके है....भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग जारी है,देश के सभी हिस्सों में हर वर्ग,हर उम्र का इंसान खुद को अन्ना समझ रहा है जाहिर है ये जोश यही जज्बा इस देश की कमजोर होती जड़ो को मजबूती देगा...मुझे लगता है आज़ाद हिन्दुस्तान में नया सबेरा जल्द होने वाला है....उसी उम्मीद में उस नई सुबह की पहली किरण के इन्तजार में आज भी बैठा हूँ ...........!