Thursday, March 1, 2012

सीतामढ़ी गुफा के भीतर...!


छत्तीसगढ़ राज्य का कोरबा जिला देश में अपनी अलग पहचान रखता है ! राज्य की उर्जधानी के रूप में अपनी पहचान रखने वाला कोरबा एतिहासिक दृष्टिकोण से भी काफी सम्प्पन है,कोरबा जिले में जहां कई विधुत कंपनियों की ऊँची चिमनिया विकास के मायने बताने के लिए काफी है वहीँ कोयले की अपार संपदा ने कईयों के चेहरों की चमक बढ़ा रखी है ! आर्थिक सम्पन्नता का ही नतीजा है की लोग अब उन बातो,उन धरोहरों की हिफाजत को अपनी जिम्मेवारी नही समझते जिसे हम अपना अतीत कहते है ! एक एसा अतीत जिसके विषय में चर्चा मात्र से हिन्दुस्तान की पावन माटी की सोंधी सी खुशबु का अहसास होने लगता है ! आज यात्रा की इस कड़ी में हम ज्यादा दूर नही बल्कि उर्जनागरी के उस हिस्से तक गये जहां का अतीत सीताराम और लक्षमण के वनवास से जुड़ा हुआ है .......
ये नजारा कोरबा रेलवे स्टेशन से लगे सीतामढ़ी का है,जहां पर भगवान् राम जानकी और भाई लक्षमण के साथ वनवास के दौरान आये थे एसी मान्यताये है ! ये नाला सदियों पुराना है,प्राचीन नाले की शक्ल आधुनिक लोगो ने इतनी गन्दी कर दी है की ये बताने में भी शर्म महसूस होती है की इस कुंड को सीता कुंड के नाम से जाना जाता है ! कभी इस कुंड के पानी को लोग अपनी पेशानी से लगाने के बाद ही उस दर पर मथ्था टेकते थे जहां मन्नते पूरी होने की अर्जियां लगती है ! हजारो साल पुराने इस नाले में कभी पहाड़ियों से पानी बहकर आया करता था अब लोगो के घरो से निकली नालियों का पानी इस कुंड से गंगा जल की तरह बह रहा है ! चारो ओर से निकली गंदगी उस पवित्र कुंड का वर्तमान है जिसके अतीत पर नजर डालने से भगवान की मनमोहिनी सूरत याद जाती है ! प्राचीन मान्यताओ के रास्ते से अब केवल गन्दा और बीमारिया परोसने वाला मटमैला पानी बह रहा है ! मैंने इस नजारे को देखा तो बरसो पुरानी उपकार फिल्म का वो गीत याद गया जिसमे समाज के ठेकेदारों का ओहदा भगवान् से कहीं ऊपर नजर आता है ......
   जो भगवान् को धोखा दे रहे है,जिनके मन में उस परमेश्वर की अदालत में होने वाले फैसले का भय नही है वो आम इंसान की दुःख तकलीफ को भला क्या समझेंगे ! इस प्राचीन कुंड  की बिगड़ी सूरत और उससे उठती दुर्गन्ध को करीब से महसूस करने के बाद मै परमात्मा के घर में पहुंचा ! पत्थरों को खोदकर बनाई गई गुफा में सुतिषण मुनि,भगवान् राम,माता जानकी और लक्षमण जी की मुर्तिया है जिन्हें देखकर प्राचीनता के पन्नो का बखूबी अंदाजा लगाया जा सकता है ! गुफा के भीतर राम,जानकी के साथ सुतिषण मुनि की सदियों पुरानी मूर्ति आस्तिको की आस्था का बड़ा केंद्र बन चुकी है ! सीतामढ़ी गुफा के भीतर एक कोने में माता दुर्गा का दरबार है जहां शक्ति की पूजा होती है,जगदम्बा से भक्त सुख,शांति और समृधि का आशीष मांगते है ! कहते है इस गुफा में कई साल पहले नवरात्री के समय चट्टान पर माता दुर्गा की छायाक्रृति कुछ भक्तो को दिखाई पड़ी थी!उसके बाद माता का दरबार बनाया गया और देवी की एक मूर्ति रखकर उसकी प्राण-प्रतिष्ठा की गईयहाँ एक प्राचीन शिवलिंग है जो सीता कुंड से खुदाई के दौरान मिला है,कहते है जब लोगो ने इस पवित्र कुंड के पानी में गन्दगी बहानी शुरू की तो एक महिला को सपने में दिखाई पड़ा की कुंड में एक शिवलिंग है ! कुदाई के बाद इस शिवलिंग की प्राणप्रतिष्ठ गुफा के भीतर की गई ! मन्दिर के पुजारी का कहना है की कुंड से मिला शिवलिंग धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है ! मतलब ईश्वरीय शक्ति का प्रमाण अगर किसी को देखना हो तो वो सीतामणि की गुफा में स्थापित शिवलिंग के दर्शन जरूर करेत्रिकाल के गले का हार यहाँ बहुत है ! श्रृंगार कहे या डमरुवाले के गले का हार सर्प यहाँ बहुत है जो समय-समय पर यहाँ भक्तो को दर्शन देते है ! इस कुंड में बड़े-बड़े सर्पो का बसेरा है  लेकिन आज-तक किसी को उनसे कोई नुक्सान नही हुआ ! इस गुफा में उस रामेश्वरम के पत्थर भी है जहां इंसान के पापो की सजा माफ़ी के रूप में मिलती है ! इंसान मानवता की राह पर चलकर केवल और केवल इंसानियत का संदेसा समाज में दे ऍसी सीख ये पुन्य पत्थर देता है
गुफा में प्रथम देव गणेश जी,पवनसुत हनुमान,के अलावा वो धार्मिक प्रमाण मौजूद है जो सतयुग के इतिहास को बताने के लिए काफी है ! इस गुफा के ठीक बगल में एक पत्थर पर दो लेख अंकित है जो वीं-८वी शताब्दी के बताये जाते है
यहाँ भक्तो की भीड़ साल भर दस्तक देती है ! नवरात्री में अखंड मनोकामना दीपो की लौ से प्रकाशमय रहने वाला ये पवित्र स्थान सावन में कांवरियों के बोल बम से गूंजता है ! इस गुफा के दूसरी ओर यानी सड़क के उस पार एक कुंड है जो अब इंसान की बद्नीयति के चलते बेजा-कब्जे की भेंट चढ़ चूका है ! जहां कभी देवी-देवताओ का वास था वहां इंसान रुपी कुछ भूतो ने अपना स्थाई आशियाना बना लिया ! पूरा इलाका सीतामणि के नाम से जाना जाता है,जो राम जी इस गुफा में विराजित है उनके नाम का एक विशाल मन्दिर पास ही में है जहां गंदगी से परहेज रखने वाले भक्त जाते है
          मैंने इस प्राचीन राम गुफा के बाहर-भीतर सब जगह जाकर देखा ! जिन गुफाओ में भगवान बैठे है उन गुफाओ के ऊपर इंसानों का बसेरा है ! जिस रास्ते कभी प्रकति का पवित्र पानी बहकर आया करता था वहां हम इंसानों ने गंदगी बहानी शुरू कर दी ! सोचता हूँ भगवान् की इस दुर्दशा का जिम्मेदार किसे ठहराऊं ? जिस धाम को संरक्षित करके कोरबा के धार्मिक और एतिहासिक महत्ता को बनाये रखा जा सकता है उसे समाज के कुछ गन्दगी पसंद लोगो ने ऊपर से लेकर नीचे तक गन्दा कर रखा है ! नाले के जरिये कुंड में इंसानों की गन्दगी बह रही है और पवित्र धाम के ठीक बगल से समाज की गन्दगी बेगम-गुलाम के जरिये दाव पर दाव लगा रही है ! सोचता हूँ क्या समाज के बड़े-बड़े ठेकेदार,नगर की सियासत पर हुकूमत करने वाले महापौर और उन जैसे कई और सियासी सूरमाओं को परमात्मा से डर नही लगता, फिर सोचता हूँ अगर डर होता तो ये नजारा कुछ और होता......!!!