..............वास्तव में
ये कैसी
आज़ादी है
! तिरसठ साल
के बूढ़े
गणतंत्र में
आज भी
किसी कोने
से भय-भूख और
असुरक्षा की
सिसकियाँ सुनाई
पड़ जाती
! दुनिया के
सबसे बड़े
लोकतान्त्रिक देश की हकीकत इन
तस्वीरों के
ज्यादा साफ-सुथरी नही
है ! कचरे
के ढेर
से पेट
की भूख
मिटने की
ये मशक्कत
तकरीबन देश
के हर
इलाके में
नजर आ
जाएगी मगर
सियासी मठाधीश
इन तस्वीरों
से केवल
अपना गला
साफ़ करते
है ! वक्त-बे-वक्त
मैले कुचैले
और भूखे
लोगों की
सूरत पर
सियासत का
सुरमा लगाने
वाले गरीबी
हटाने का
शोर ६३
साल से
मचा रहे
है ! गरीब
हटते जा
रहें है,गरीबे तो
भागने का
नाम ही
नही लेती
! क्या करें
ये न
होंगे तो
किसके नाम
पर करोडो
की योजनाये
बनेगी किसके
नाम की
रोटी पर
मंहगा बटर
लगाकर सफेदपोश
चेहरे की
चमक बढ़ाएंगे
! ये न
होंगे तो
कईयों के
कुर्तों पर
कलप नही
चढ़ पायेगा
! आज देश
६३ वां
गणतंत्र मना
रहा है
! देश की
आन-बाण-शान कहा
जाने वाला तिरंगा
असमान में
लहराकर उन
सूरमाओं की
देशभक्ति और
कुर्बानी की
याद दिल
रहा है
जिन्होंने इन जैसे करोड़ों बेघरबार,भूखे और
जरूरतमंदों के लिए आजादी के
हसीं ख़्वाब
संजोये थे
! जिनकी कुर्बानी
पर देश
की आज़ादी
का भार
है वो
भी आज
की लोकतांत्रिक
व्यवस्था से
तकलीफ में
होंगे ! हे
भगवान् ,यक़ीनन
गाँधी होते
तो आज़ाद
भारत की
६३ साल
की उम्र
में इस
हाल पर
हे राम
नही हे
भगवान् ही
कहते !
महंगाई डायन
ने आम
जनता की
थाली से
मुह मोड़
रखा है
! एक बार
में रोटी,चावल,दाल
और सब्ज्जी
सपना बनकर
रह गई
है ! रसोई
गैस ने
इतना रुला
रखा है
की अब
इलेक्ट्रिक चूल्हे बिजली का बिल
बढ़ा रहें
है ! पेट्रोल
की आग
ने कईयों
को साइकिल
की सवारी
करवा दी
है फिर
भी कुछ
लोगों के
विकास को
भारत का
आथिक विकास
का
पैमाना मानने वालों ने इन
लोगो की
ओर नजरे
इनायत नही
की जिनके
नाम से
देश की
सरकार करोडो
रुपयों का
फंड हर
साल राज्य
की सरकार
को भेजती
है !
इस राज्य में राम
के नाम
की रोटी
खाने और
सियासी जंग
में जय
श्री राम
के नाम
पर वोट
माँगने वाले
राज कर
रहें है
मगर राजा
राम के
उन आदर्शों
का एक
भी फार्मूला
यहाँ लागू
नही है
! वैसे भी
देश में
भगवान् बने
नेताओं ने
अपने नाम
को राम
श्याम और
हनुमान से
बड़ा कर
लिया है
! भाजपा ने
अब तो
राम को
भी एजेंडे
से गायब
कर दिया
है फिर
इन गरीबों
की मनोदशा
को समझने
और सुनने
वाले मर्यादा
पुरुषोत्तम का ख़याल भी जहन
में क्यूँ
लायें ! यहाँ
हक़ माँगने
वालों को
लाठियां मिलती
है ! सरकारी
जमीने गरीबों
के लिए
नही है
वो समृद्ध
तबके की
मिलकियत है
! सरकारी दामादों
के हक़
पर पार्टी
के कार्यकर्ताओं
का कब्ज़ा
है ! कमीशन
के खेल
में हर
दिन शहरी
इलाकों की
सूरत संवरती
दिखती है
मगर गाँवों
में सड़क,नाली और
पगडण्डी एक
जैसी दिखाई
पड़ती है
बस आपके
देखने का
नजरिया क्या
है इस
पर निर्भर
करता है
! प्रशासन
के दम
पर हुकूमत
करने वाले
क्यूँ भूल
जाते है
ये नंगे-भूखे और
जरूरतमंद लोग
लोकतंत्र के
वो अम्पायर
है जिनकी
उंगली पर
सत्ता की
कुर्सी टिकी
होती है
!
वैसे
इनकी खातिरदारी
का वक्त
आ गया
है ! साल
के अंत
में चुनाव
जो होने
वालें है
!अब कुछ
दिनों तक
गणतंत्र के
गरीबों का
ख़याल सफ़ेद
वस्त्र में
लिपटे भाग्य
विधाता करेंगे
! ये
देश के
भाग्य विधाताओं
को चुनने
वालों की इम्पाला
है, केवल
एक पहिये
पर चलती
है, एक
बार में
एक ही
सवार हो
सकता है
! जिनको हीटर
की तपिश
से शरीर
गर्म करने
की आदत
है उन्हें
अलाव की
जलती लकड़ी
के धुंएँ
से घबराहट
होगी ! गरीबों
के सर
पर छत
हो न
हो इनके
रहबर मौसम
के मिजाज़
के मुताबिक़
बने घरों
में रहते
है ! जो
देश की
सत्ता बनाने
का माद्दा
रखते है
वो कही
कचरा बीन
रहे है
,कहीं रिक्शा
खींच रहें
है तो
कही मिटटी
को सांचे
में डालकर
आकर देने
में जुटे
है ! गीली
मिटटी को
आकर मिल
गया,पटरी
पर दौड़ती
ट्रेन हर
वक्त मंजील
की ओर
भाग रही
है मगर
कुछ नही
मिला तो
इन ६३
सालों के
आज़ाद मुल्क
में आज़ादी
के सही
मायने !