Thursday, August 9, 2012

शहीदों का अपमान किया


काले धन को लेकर दिल्ली के रामलीला मैदान में योग गुरु बाबा रामदेव का आंदोलन शुरू होने से पहले विवादों में घिर गया। रामलीला मैदान में रामदेव के मंच पर देश के अमर शहीदों के साथ रामदेव के सहयोगी बालकृष्ण की तस्वीर नजर आई। चंद्र शेखर आजाद, भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस सरीखे देश के महान सपूतों के साथ बालकृष्ण की तस्वीर ने रामदेव के आंदोलन पर सवाल खड़े कर दिए। मालूम हो कि बालकृष्ण फर्जी पासपोर्ट मामले में जेल में हैं। मिडिया ने जैसे ही यह खबर दिखाई मंच के दोनों ओर लगे पोस्टरों को हटा लिया गया। जाहिर सी बात है कि बालकृष्ण को अमर शहीदों के समकक्ष दिखाने की पूरी कोशिश की गई ! कहीं- -कहीं बालकृष्ण जैसे आरोपी की तस्वीर शहीदों के बीच लगाकर बाबा ने शहीदों का अपमान किया ! मै आज बाबा रामदेव के अनशन की खबर पर लगातार नजर बनाये हुए हूँ क्यूंकि अन्ना की टीम के राजनैतिक विकल्प देने के ऐलान के बाद से पूर्व घोषित आज के अनिश्चितकालीन आन्दोलन की हवा निकलनी तय मानी जा रही है ! कालाधन-भष्टाचार के मुद्दे पर बाबा पहले भी हुंकार भर चुके है आज भी काफी देर तक बोलते रहे ! पिछले साल के आन्दोलन में बाबा को लड़की के कपडे पहन कर भागना पड़ा,इस बार क्या होगा भगवान् जाने ! हालाकि पूर्व नियोजित आन्दोलन की शक्ल को बाबा ने दूसरा स्वरुप दे डाला है ! उन्होंने रामलीला मैदान से तीन दिन का सांकेतिक अनशन करने की बात कही है ! इस बीच सरकार के कानों में जूं रेंगती है तो ठीक नही तो आगे की रणनीति का ऐलान बाबा बाद में करेंगे
         आज बाबा रामदेव करीब एक घंटे से ज्यादा बोले,रामलीला मैदान पर जुटी भीड़ को उन्होंने ऐतिहासिक बताया ! हालांकि देश के कुछ प्रख्यात पत्रकारों ने भीड़ को इकठ्ठा किया जाना बताया ! बाबा के इस आन्दोलन को शक्ति प्रदर्शन का नाम भी दिया गया ! मैंने बाबा को पुरे वक्त सुना,इस बार सिर्फ आवाज भर में दम दिखा ! सरकार के खिलाफ बाबा की नरमदिली उनके बेक फुट पर जाने का साफ़ संकेत दे गई ! इस बार बाबा संभलकर बोले,पिछला अनुभव यकीकन याद था ! बाबा जी ने आज जिन मुद्दों पर जनता से हुंकारी भरवाई उसे लालकृष्ण आडवाणी पहले ही संसद में उठा चुके है ! माना तो ये भी जा रहा है की बाबा जी भाजपा का मुखौटा लगाकर रामलीला के मैदान में केवल लीला कर रहे है !  केंद्र सरकार के खिलाफ हुँकार भरने की शुरुवात ऐसे विवाद में फंसा की बाबा को मिडिया से कहना पड़ा पोस्टर को ज्यादा तूल ना दे,हालाकि खबरे दिखाए जाने के बाद सरकार और रामदेव के विरोधियों को खासा मौका मिल गया है ! मंच से रामदेव ने शहीदों के अपमान पर मंच से कह दिया की देश के लिए शहीद हुए महापुरुषों को काफी प्रताड़ना झेलनी पड़ी थी ! उन्होंने जेल में बंद अपने सहयोगी बालकृष्ण को जनता का सेवक बताया ! उन्होंने ये तक कह दिया की बालकृष्ण ने जितनी जनसेवा की उसके बदले में दूसरे देश की सरकार नोबेल पुरस्कार दे देती ! कई बाते बालकृष्ण के सहयोग में करने वाले बाबा ने फिर क्यूँ मंच के दोनों और लगे पोस्टर को हटवाया ? क्या बाबा अपने ही निर्णय पर कायम नही है ? क्या बाबा की आन्दोलन के जरिये लीला व्यक्तिगत है ? क्या इस बार बाबा सरकार को घेर पाएगी ? ऐसे कई सवाल है जिनके जवाब जनता जानना चाहती है
                           कालाधन-भ्रष्टाचार का मुद्दा देश हित में है,लेकिन मुद्दे की बागडोर गलत हाथों में है ! हो सकता है मेरी व्यक्तिगत राय से दूसरा कोई सहमत ना हो लेकिन मुझे ये सच लगता है की ये आन्दोलन बाबा रामदेव का व्यक्तिगत आन्दोलन है ! बाबा शक्ति प्रदर्शन के जरिये एक राजनीतिक माहोल बना रहे है ! बाबा देश की हुकूमत को बताना चाहते है की लोग उनके साथ है ! हालाकि पिछली बार बाबा की जो फजीहत हुई उसके बाद सड़क पर कोई जन-विरोध ना होना बाबा की भीतरी ताकत और लोगो के समर्थन का सच दिखा चूका है ! बाबा ने आज गलती की उससे साफ़ हो गया की उनकी दशा-दिशा दोनों तय नही है ! जिन महापुरुषों ने देश में बड़े-बड़े आन्दोलन चलाकर इस मुल्क को आज़ाद करवाया उनकी तस्वीरों के बीच दो आरोपियों की फोटो आखिर किस जनांदोलन की और इशारा करती है ! क्या बाबा रामदेव इस मंच के जरिये भीड़ दिखाकर जेल में बंद फर्जी आचार्य बालकृष्ण को बाहर निकलवाना चाहते है ? क्या बाबा ये बताने की कोशिश में लगे है उनके पास जो अरबो-खरबों की संपत्ति है वो काली नही है ? सवालों से घिरे बाबा जी ने रामलीला मैदान पर अनशन के पहले दिन जो लीला रचाई वो बेहद शर्मनाक और निंदनीय है ! चन्द दिनों पहले टीम अन्ना की भीतरी ख्वाहिश {सियासत} जब बाहर आई तो देश हित के लिए जारी जंग ख़त्म हो गई ! जिस आन्दोलन को देश की दूसरी क्रांति से जोड़कर देखा जा रहा था वो दूसरे साल कहूँ या दूसरी बार १० दिनों में ही ख़त्म हो गया ,टीम अन्ना ने खा देश हित में सियासी विकल्प तैयार किया जायेगा ! यक़ीनन अन्ना भीतर से खुश नही थे इसी लिए उन्होंने ने टीम अन्ना ही भंग कर दी और ये भी साफ़ कर दिया की वो राजनीति के दलदल में कूदकर पाक दामन को दागदार नही करेंगे !   
ऐसे में योग गुरु से देश का गुरु बनने की खवाहिश बाबा की फडफडाती आँखों में दिखाई पड़ती है ! गले से निकलते स्वर उनकी महत्वकांक्षा को बताते है ! मै ये जानने की कोशिश पिछले कई बरसो से कर रहा हूँ की ये बाबा-वो बाबा ना जाने कौन कौन से बाबा आये और नेपथ्य में भी चले गए ! उन बाबाओं ने कभी इस मुल्क की गरीबी या फिर गरीबो पर कोई तल्ख़ टिपण्णी क्यूँ नही की ! क्यूँ किसी बाबा ने सरकार से पूछा की ६४ बरस के आज़ाद हिन्दुस्तान में आज भी कई गाँव के बच्चो को स्कूल की छत नसीब नही हो सकी ? क्यूँ देश का अन्नदाता आत्महत्या कर रहा है ? क्यूँ इस मुल्क में बेटियों को कोख में मारने पर फांसी नही होती ? क्यूँ आज भी देश के गोदामों में अनाज को सड़ने के लिए रखकर एक बड़ी आबादी को भूखे सोने पर मजबूर किया जा रहा है ? मेरे जहन में कई ऐसे सवाल है जिनका जवाब वातानुकूलित मंच पर खड़े होकर इस मुल्क की रहबरी का दावा करने वाले बहरूपिये नही दे सकते !