Wednesday, December 1, 2010

याद रहेंगे राजीव भाई...






    मै जिनके बारे में लिखने की कोशिश कर रहा हूँ उनसे मेरी मुलाकात यू कहूँ की जान पहचान केवल पौन घंटे की है...कम वक्त की मुलाकात याद बन जाएगी नही जानता था....मंगलवार{३०नवम्बर}की दोपहर जो खबर मेरे कानो तक आई वो विश्वाश करने लायक नही थी.लेकिन उसके आगे {भगवान}किसकी चलती है....जितना मैंने जाना,उनको जानने वालो से पुछा उस लिहाज से  स्वदेशी जागरण के प्रणेता  राजीव दीक्षित ने अंतिम सांस तक विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों का विरोध किया....मृत्यु के छह घंटे पहले तक डाक्टरों ने उन्हें एलोपैथी दवाएं लेने की सलाह दी लेकिन उन्होंनअपनी जान की परवाह न करते हुए बहुराष्ट्रीय कंपनियों की दवाई खाने से इनकार कर दिया.....पेशे से इंजीनियर दीक्षित को सोमवार २९ नवंबर  की शाम 4.30 बजे सीने में दर्द हुआ... वे बेमेतरा से दुर्ग आ रहे थे ...दुर्ग पहुंचने पर दर्द बढ़ने से उनके सहयोगी कार्यकर्ताओं ने जिद करके उन्हें शाम 6.30 बजे बीएसपी के सेक्टर नौ हास्पिटल में दाखिल कराया...वहां डाक्टरों ने इसे हार्टअटैक का केस बताया.... तब भी राजीव दीक्षित ने होम्योपैथी दवा को प्राथमिकता दी....लगभग 10 बजे बाबा रामदेव ने दीक्षित से बात की..... उन्होंने नई दिल्ली के मेदांता मेडिसिटी के चीफ कार्डियोलाजिस्ट डा. प्रवीण चंद्र से बीएसपी हास्पिटल के डाक्टरों से बात कराई... इसके बाद दीक्षित को एक इंजेक्शन लगाया गया.... इससे उन्हें थोड़ी राहत मिली...दिल्ली के डा. प्रवीण चंद्र ने एंजियोग्राफी की सलाह दी....बाबा रामदेव ने फिर फोन पर उन्हें एंजियोग्राफी कराने का आग्रह किया, लेकिन बीएसपी हास्पिटल में यह सुविधा नहीं थी, इसलिए उन्हें रात 11 बजे भिलाई के अपोलो बीएसआर हास्पिटल ले जाया गया....वहां दो घंटे इलाज के बाद उन्होंने अंतिम सांस ली....ये खबर मेरे लिए सदमे से कम नही थी,सदमा इसलिए की मैंने एक दिन पहले ही रविवार २८ नवंबर  को राजीव भाई को पंडित देवकीनंदन दीक्षित सभा भवन में करीब से देखा और उनके विचारो को देर तक सुना...मुझे अपने चैनल के लिए खबर करना थी  इस वजह से राजीव जी को करीब से देखने,सुनने का मौका मिल गया....राजीव जी की आकस्मिक निधन की खबर उड़ते-उड़ते मेरे कानो तक आई तो मुझे एक बारगी यकीन नही हुआ,भिलाई में मेरा कोई परिचित नही था...इस वजह से जानकारी इकठ्ठी करने में परेशानी उठानी पड़ी...रायपुर के एक मित्र से पता करने पर राजीव जी के बारे में बहुत कुछ मालूम हो गया....राजीव दीक्षित का जन्म 1 दिसंबर 1966 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद के एटा गांव में हुआ... उनके पिता राधेश्याम दीक्षित ब्लाक डेवलपमेंट आफिसर थे...राजीव दीक्षित आम लोगों के जीवन से जुड़ी बातों पर जोर देते थे... रायपुर के एक व्याख्यान में उन्होंने कहा था कि स्वदेशी तो एक पूरी जीवन शैली है, यह तो भारत की सभ्यता का आधार है... इसका आर्थिक पक्ष तो इसका छोटा पहलू है... सिर्फ स्वदेशी वस्तुएं खरीदने से ही स्वदेशी का पालन नहीं होता...हमारे जीवन के आचार-विचार, भाषा, भूषा, भोजन ये सभी स्वदेशी हों, तभी वह पूर्ण होता है...हम स्वदेशी भाषा बोलें, स्वदेशी वेशभूषा पहनें, स्वदेशी भोजन करें, स्थानीय औषधियों का उपयोग करें...उन्होंने अंतिम समय तक इसका पालन किया....1984 में भोपाल गैस कांड के दो साल बाद इलाहाबाद में एक संगोष्ठी हुई, जिसमें आजादी बचाओ आंदोलन की नींव रखी गई ...राजीव दीक्षित उसमें एक सदस्य थे....1988 से 1991 तक राजीव  दीक्षित ने मल्टीनेशनल कंपनियों के बारे में गहन अध्ययन किया.... इसके बाद वर्धा में आजादी बचाओ आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर खड़ा किया गया... वर्धा में इसके लिए सात सदस्यीय संयोजन समिति बनी..... दीक्षित ने मल्टीनेशनल कंपनियों की जीरो टेक्नालाजी का मुखर विरोध किया... उन्होंने वैट, डब्ल्यूटीओ पर हस्ताक्षर और खड़े नमक पर प्रतिबंध लगाने का विरोध किया... 2005 में वे बाबा रामदेव के  संपर्क में आए..राजीव की भारत स्वाभिमान यात्रा अनवरत जारी रहेगी,बस उस यात्रा में अब नही दिखाई देंगे  राजीव.... 

1 comment:

  1. rajiv ji ko ashrupurit naman..राजीव की भारत स्वाभिमान यात्रा अनवरत जारी रहेगी,बस उस यात्रा में अब नही दिखाई देंगे

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