Monday, December 13, 2010

उसे लोग संस्कारधानी...

 जिस शहर में मै रहता हूँ उसे लोग संस्कारधानी या फिर न्यायधानी के नाम से जानते है...कभी सुनकर गर्व होता था,अब तो अजीब से ख़यालात आते है.....जिस शहर को अमन-ओ-चैन का टापू कहा जाता था वो अब इतना अशांत और डरावना नजर आने लगा है,मानो कब क्या हो जाये...जैसे-जैसे शहर की सूरत संवरती दिखी वैसे-वैसे अपराध की काली छाया से इस शहर की आबो-हवा दहशतगर्दी फ़ैलाने लगी...कई ऐसे अपराध हुए जिसकी कल्पना करना भी मुश्किल था...दिन दहाड़े हत्या,लूट,डकैती,उठाईगीरी,जैसे अपराधो के बारे में सुनकर लोगो का कान अब  पक गया...शहर बढ़ा,अपराध बढ़ा,स्वाभाविक है लोगो के पास दौलत भी उसी अनुपात में बढ़ी...जो कल तक सड़क के आदमी थे वो अब बड़े आदमियों की गिनती में आ चुके है ...बदलते वकत ने कुछ लोगो को रसुखीयत की कतार में लाकर खड़ा तो कर दिया लेकिन खानदानी अंदाज की कमी चेहरे पर साफ दिखाई पड़ जाती है ...कुछ ऐसे ही नवेले रईसों की बिगड़ी औलादे पिछले  दिनों  एक होटल में पार्टी के बहाने इकठी हुई,पार्टी जन्म दिन की थी,स्वाभाविक था बिना शराब सब कुछ अधुरा-अधुरा सा लगता....मंहगे और आधुनिक ज़माने के वस्त्रो से ढके नव-धनाडयो के नवाबजादो के मुह शराब क्या लगी पता ही नही चला कितनी अंदर गई,कितनी पैमाने में छूट गई....वक्त अपनी रफतार से सुबह की ओर कदम बढा रहा था और वो रईसजादे थे की मुह लग चुकी शराब को छोड़ना नही चाहते थे....कदमो ने 
साथ देने से इंकार कर दिया लेकिन अंगूर की बेटी भी उन रईसजादे की शायद असल औकात देखना चाहती थी...नशा कुछ इस तरह चढ़ा की वो रईसजादे अपनी असल औकात में आ ही गए...कुछ ही देर में शरीर पर चढ़े कपडे जमीन पर थे, बिना कपडे "कभी मुन्नी याद आती तो कभी शीला की जवानी पर लड़खड़ाते कदम बार-बार जमीन पर गिरा देते .....दरअसल गिरे हुए लोग रुपये की चादर से उस हकीकत को ढंकने की कोशिश कर रहे थे जो शराब की घूंट अन्दर जाते ही उड़कर दूर फीका गई.....मस्ती में झूमते नवेले रईसों से होटल के कर्मचारियों की झड़प हो गई...देखते ही देखते शराफत और रईसी कुछ इस तरह नंगी हुई की देखने वाले अवाक् रह गए....नए-नवेले होटल की सूरत कुछ ही देर में काफी बिगड़ी नजर आने लगी,होटल नया था,ग्राहक भी नव धनाडय थे...ये बात होटल से निकलकर थाने तक पहुंची...जैसे-तैसे रात गुजर गई...सुबह होटल मालिक के रिश्तेदार,परिचित और कुछ मिडिया वालो की भीड़ मौके पर जमा हो गई....मिडिया वालो की भीड़ में मै भी था....सब कुछ होटल मालिक और उनके रिशतेदारो ने विस्तार से बताया....पूरी घटना में होटल वाले खुद को कही-से-कही तक गलत मानने को तैयार नही थे...इधर पूरे वाकये को हम सुन ही रहे थे की अचानक पुलिस वालो की बड़ी संख्या देखकर थोड़ी देर के लिए हैरानी जरूर हुई लेकिन तारबाहर थाने के पूरे खाकी वालो की सक्रियता देखकर हम मामले की गंभीरता को समझ गए...जितने खाकी वाले सक्रिय और संख्या बल में दिखाई दे रहे थे उसको देखकर कोई भी होटल में हुई मारपीट की घटना को गंभीरता से लेता..जिस थाने के साहेब और कर्मचारी बड़ी से बड़ी वारदात को हलके में लेते हो उनका पूरे कर्मचारियों के साथ यू मौके पर तफ्तीश करना बता रहा था की घी के लड्डू दोनों हाथो में है.....मतलब  रिपोर्ट लिखने से लेकर केस कमजोर करने तक के फासले में सैकड़ो रईसजादे थे.....पुलिस ने दोनों पक्षों की सुनी,एक दूसरे के खिलाफ अपराध दर्ज कर पुलिसवाले होटल में घंटो कुछ इस तरह तफ्तीश में जुटे थे मानो दो-चार लोगो का मर्डर हो गया हो ....खैर ये तो रही हाल ही में रईस बने लोगो और उनके पीछे लालच भरी नजरो से घूमती पुलिस की सच्चाई...वैसे कुछ मेरी  बिरादरी वाले भी जूठन चाटने तैयार थे...
                          इस पूरे मामले में जो मेरी समझ में आया वो ये था की होटल मालिक खुद को हरिश्चंद्र बता कर वो सच छिपा रहा था जिसकी आड़ में रूपये कमाए जा रहे है...शहर में ऐसे कई होटल है जहाँ जुआ,सट्टा और शराबखोरी से लेकर जिस्म का कारोबार बड़े पैमाने पर होता है....इन ठिकानो की खबर पुलिस को नही है कहना सफ़ेद झूठ से कम नही होगा...कारवाही इसलिए नही होती क्योकि ऊपर से नीचे तक औकात  के मुताबिक हिस्सा बंधा है...यही हिस्सा शहर के अमन चैन पर अब उस काले बदल की तरह मंडरा रहा है जिसके हर वक्त बरसने का खतरा बना रहता है......आने वाले दिनों में हालत और बिगड़ेगे,तय है...  जिन अपराधो की कल्पना इस शहर ने नही की थी वो सब कुछ ऐसे देख रहा है जैसे इसे अब आदत सी हो चली है...कोई देर रात तक खुली शराब की दुकानों का विरोध करने सड़क पर नही उतरता,कोई इस बात को लेकर अपनी आवाज  बुलंद  नही करता कि अमन के इस शहर में अशांति फ़ैलाने वालो को बखशा नही जायेगा...कोई चिल्लाये भी तो क्यों,अरे तमाम मुद्दों पर हल्ला मचाने वाले कोई और नही वही चेहरे तो है,जिन्हें मौका मिलते ही शराब,शबाब और कबाब की जरुरत पड़ती है.......इधर पुलिस ने सक्रियता दिखाई और कुछ ही घंटो में दोनों पक्षों से १० लोगो को गिरफ्तार किया और मुचलका जमानत पर छोड़ भी दिया...एक बार फिर पुलिस रसूखदारो के आगे पानी भरती नजर आई...ऐसे में इस शहर की आबो-हवा में  अमन की छांव तलाशना जरा मुश्किल सा लगता है....

3 comments:

  1. ... naye hotel kaa bhee udghaatan ho gayaa ... kaale kaarnaamon ke saath ... sundar post !!!

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  2. हार्दिक शुभकामनाएं !

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  3. प्रसन्शनीय पोस्ट ।

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