इन अखबारों की लगी कतरन और उसमे छपे पुलिस
के तमाम बयानों को गौर करे तो पत्रकार सुशील
के कातिल उनके कब्जे में है...दावे उस वक्त कमजोर
हो जाते है जब क़त्ल करने वाले हथियार को जब्त
करने की बारी आती है...पुलिस किस तरह से झूठ
की बुनियाद पर तैयार कहानी को सच बताने की कोशिश कर रही थी देखिये इस वीडियो में....
नमस्कार जी
ReplyDeleteबहुत खूबसूरती से लिखा है.
क्या करे जी कुछ न कुछ तो कहना हैं
सच नहीं तो झूठ ही TRP तो बढ़ रही हैं ना
..... uffffffffffff !!!
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