Tuesday, December 28, 2010
अब कुत्तो की बारी
अचानकमार में कुत्तो का आतंक .......जो लोग अचानकमार अभ्यारण्य को नही जानते उनके लिए ये खबर चौकाने वाली नही होगी...मेरे लिए और उन सब के लिए ये खबर जरुर कई मायनो में ख़ास है...हमने अचानकमार इलाके को काफी करीब से देखा और जाना है...बात कल ही की तो है...मै अपने दफ्तर में बैठा अखबार के पन्ने पलट रहा था..."अचानकमार में कुत्तो का आतंक"...इस शीर्षक पर नजर पड़ी तो खबर पढने का मन हुआ...पूरा पढने के बाद मै सोचने लगा अभयारण्य के भीतर बड़ी संख्या में कुत्ते आखिर आये कहाँ से...जंगल में कुत्ते है,या खबर के जरिये कुत्तो का आतंक फैलाया जा रहा है....सच तो वही बताएगा जिसने बिना कुत्तो के आतंक झलकाती तस्वीर के आतंक फैलाने की कोशिश की है....ये खबर उनके लिए भी चौकाने वाली हो सकती है जो अचानकमार को "शेरो"के नाम से जानते है...केवल जानते है....जी हाँ पिछले १० बरसो में मैंने तो शेर नही देखा...वन महकमे के अधिकारियों से जितना सुना उसके मुताबिक जंगल में २६ "टाइगर" है...हाँ वो आंकड़े वाले शेर वी.वी.आइपी को जरुर दिख जाते है...उसके लिए वन महकमा पहले से मुनादी करवाता है और वी.वी.आइपी को शेर दिखा दिया जाता है...जिस अचानकमार अभ्यारण्य में २६ शेर है वहाँ कुत्तो का आतंक ? बड़ा अटपटा सा लगता है...मैंने सोचा मेरे ही एक साथी ने खबर छापी है जरुर कुछ तो ख़ास होगा...फिर ख़याल आया कोई नई बात थोड़े ही है,वन महकमे का अधिकारी जब चाहता है अखबार में शेर दिख जाता है...जब उसकी इच्छा होती है जंगल में कुत्ते आतंक मचाने लगते है....जरूर इस बार कुत्तो की बारी लगती है ऐसा सोच कर मैंने अखबार के पन्ने को पलट दिया....अरे जिस अचानकमार अभयारण्य को अधिकारी की काबिलियत पर बिना शेर की गड़ना हुए "टाइगर रिजर्व" बना दिया गया हो,जहाँ करोडो रूपये उन शेरो के संरक्षण पर खर्च कर दिए गए हो जिनकी वास्तविक संख्या का पता आज तक नही चल सका है,वहाँ कुत्तो का आतंक मचा हो नया नही लगता...हर साल शेरो की गिनती होती है,उनके पगचिन्ह खोजे जाते है ....वन अधिकारी चाहते भी है हर साल शेरो की गड़ना हो,शेरो के संरक्षण पर सरकार ध्यान दे...शेरो के संरक्षण पर सरकार ध्यान देगी तभी तो वन अधिकारियों के चेहरे शेरो की तरह दहाड़ते नजर आयेंगे.....ऐसे में कुत्तो की अचानक जंगल में इंट्री विभाग के काबिल अधिकारियों की आगामी योजना का खाका खीच देती है....शेरो के नाम पर करोडो का वारा-न्यारा करने वाले अब मुंह का स्वाद बदलना चाहते है....तभी तो यकाएक कुत्ते जंगल में आतंक मचाने लगे........अब चीतल,हिरन जैसे वन्य प्राणी आसानीसे अधिकारियों और उनके ख़ास मेहमानों के मुह का स्वाद बदलेंगे क्योकि कुत्ते आतंक जो मचा रहे है....? अब कुत्तो को जंगल से खदेड़ने या फिर मारने के नाम पर सरकारी फंड आएगा.....कुछ कुत्तो पर खर्च होगा कुछ मेरी बिरादरी वालो पर और बाकी बचा जंगल का बड़ा साहेब बिना डकार लिए पचा जायेगा....कुत्तो का आतंक ख़त्म हो ना हो जंगल से अब शेरो का झूठा खौफ जरुर ख़त्म हो गया है....
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... kyaa baat hai !!!
ReplyDeleteकुत्तों के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दी है भाई, धन्यवाद.
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