Monday, May 14, 2012

सत्यमेव जयते और आमिर


बॉलीवुड स्टार आमिर खान के शो सत्यमेव जयते ने टीवी पर धूम मचा रखी है लेकिन क्या टीवी पर शो हो जाने से भ्रूण हत्याएं रुक जाएंगी !क्या आमिर के कहने से हमारा सभ्य समाज बदल जाएगा और भ्रूण हत्याएं होनी बंद जाएंगी. ये एक बड़ा सवाल है जिसका जवाब किसी के पास नहीं है ! हालात तो ये हैं कि जब मैंने ये सवाल सोशल मीडिया पर उठाए तो कहा गया कि मैं नेगेटिव सोच वाला पत्रकार हूं ! मेरी समस्या तो आमिर खान से है और ही उनके कार्यक्रम सत्यमेव जयते से जिसमें कन्या भ्रूण हत्या को एक मुद्दा बनाया गया है ! समस्या इस बात से है कि क्या हमारा समाज इस हालत में पहुंच गया है कि किसी स्टार को बताना पड़ेगा कि कोई मुद्दा कितना गंभीर है या किस मुद्दे पर हमें सोचना चाहिए ! स्वदेश सिंह ने हवाला दिया अनपढ़ जनता का जिसे जागरुक किए जाने की ज़रुरत है लेकिन ये देखना भी ज़रुरी है कि भ्रूण हत्याओं का गढ़ हमारे गांव नहीं बल्कि शहर हैं जहां भ्रूणों की पहचान होती है ! सोशल मीडिया पर भ्रूण हत्या का विरोध करने वाले और टीवी पर कार्यक्रम देखकर आंसू बहाने वालों में कई वो लोग भी शामिल हैं जो लड़कियों को बोझ के तौर पर देखते होंगे ! क्या आपको लगता है कि वो टीवी पर शो देखकर लड़कियों के प्रति अपना दुराग्रह बदल लेंगे !अगर हमारी मानसिकता यही रह गई है कि जो स्टार बोलेगा उसे ही मानेंगे तो फिर ऐसे समाज के बारे में कुछ कहने की ज़रुरत नहीं !वैसे सोचने की ज़रुरत भी क्या है. आमिर खान ने कोक बेचा था तो हमने पिया ही था हो सकता है कि भ्रूण हत्या पर उनकी बात भी हम मान ही लें !लेकिन मुझे लगता है कि ये क्षणिक आवेग है जो टीवी के ज़रिए लोगों के आंसूओं में तब्दील होकर निकला है ! इस शो ने उन लोगों को अपनी आत्मग्लानि आंसूओं के ज़रिए निकालने का मौका दिया है जो जानते हैं कि भ्रूण हत्याएं हो रही हैं लेकिन वो कुछ कहना नहीं चाहते. रोना आसान उपाय है !ये आत्मशुद्धि का दौर है. फेसबुक एकटिविज्म का दौर है ! भ्रूण हत्या की गंभीरता को समझने के लिए आमिर की ज़रुरत पड़ना ही दर्शाता है कि समाज कहां जा रहा है ! मां-बहन-बीवी-भाभी के साथ रहते रहते भी अगर हम औरत के महत्व को नहीं समझते हैं और इसके लिए आमिर की ज़रुरत पड़ती है तो क्या कहने हैं इस समाज के गलत साबित होना किसी को अच्छा नहीं लगता लेकिन मैं चाहता हूं मैं इस मुद्दे पर ग़लत साबित हो जाऊं. लोग आमिर के ज़रिए ही सही मुद्दे की गंभीरता को समझें और कुछ ऐसा हो कि ये भ्रूण हत्याएं रुक जाएं ! दिल्ली, पंजाब जैसे कई बड़े शहरो के अलावा छत्तीसगढ़ की गलियों में फैले डॉक्टरों की वो दुकानें बंद हों जहां लिंग परीक्षण होता है !तभी मैं समझूंगा कोई बात बनी है ! हाल ही में मैंने भी भ्रूण हत्या पर एक खबर बनाई थी जिसका मजमून भी कुछ ऐसा ही है जिसे मिस्टर परफेक्ट कह रहे है,हालाकि मेरे जैसे कई पत्रकारों ने इस मसले पर समय-समय पर अपनी राय रखी है मगर हम आमिर खान नही है ये भूल गए थे !खैर इस मुद्दे पर गलत साबित होने में मुझे बेहद खुशी होगी !

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