Wednesday, November 24, 2010

विकास की जीत


मैं करीब १२ साल पहले बिहार गया था...रांची में मेरे मामाजी रहते है...उस वक्त रांची बिहार का हिस्सा था...बाद में रांची बिहार से अलग होकर झारखण्ड की राजधानी बन गया...पर मै उस रांची शहर में चार दिनों तक रहा, जहाँ लालू राज था.....पत्रकारिता के मैदान का एकदम नया खिलाडी था,इस वजह से कुछ ज्यादा जानने,समझने की ललक थी....मैंने बिहार के उस रांची शहर को देखा था जहाँ लालू यादव की तूती बोलती थी....थोडा अँधेरा होते ही सड़क पर चलने वालो की जात और नियत बदली-बदली नजर आने लगती थी...सड़क के नाम पर गर्दो गुबार और गड्ढो का जाल बिछा नजर आता था....भय,आतंक,भ्रष्टाचार की सरकार {लालू}मानने को तैयार नही थी की बिहार विकास की बाट जोह रहा है...मै यहाँ-वहां घूमकर वापस बिलासपुर लौट आया...उसके बाद फिर कभी ना रांची जाना हुआ,ना बिहार के किसी शहर...हाल ही में बिहार में विधानसभा के चुनाव हुए,इस दौरान टीवी पर बिहार के बारे में काफी कुछ देखा,अखबारों में पढा...जैसा देखा,सुना काश मैं कह पाता कि नीतीश के बिहार में सब कुछ बदल चुका है और बिहार भी शाइनिंग इंडिया की चमक से दमक रहा है....परेशानियां अभी भी है,लोगों की शिकायतें भी है लेकिन काफी कुछ नया भी था जिसे जनता टीवी पर बिना "ललुआ" के डरे कह रही थी...मैंने इस चुनावी घमासान में लोगो,राजनेताओ और समीक्षकों को जितना सुना उस लिहाज से अर्थव्यवस्था तरक्की के संकेत दे रही थी.... हर दूसरा व्यक्ति कानून व्यवस्था को खरी खोटी सुनाता हुआ या अपहरण उद्दोग की बात करता नहीं सुनाई दिया.......लोगो ने खुलकर कहा अब हमारे घर की बहू,बेटिया रात के नौ-दस बजे रात तक खड़े होकर चोपाटी पर आराम से गोल्ग़पे और चाट खाती है....मतलब नितीश ने कुछ तो ऐसा किया था जिसको लोग खुलकर बताना चाहते थे....मौका भी था,जनता के पाले में एक बार फिर गेंद थी....चुनावी पिच पर लालू,नितीश की पार्टी बैटिंग के तैयार थी .....छह चरण में चुनाव बिना किसी बड़ी हिंसक वारदात के सम्पन्न हुए और आज{२४ नवम्बर}मै सुबह से ही टीवी ऑन कर नतीजे जानने बैठ गया...करीब दो घंटे के बाद बिहार की जनता जनार्दन का जनादेश देश के सामने था...नितीश की विकास आंधी लालू,पासवान को उड़ा ले गई....राबड़ी,साधू का पता-ठिकाना ही नही लगा....दावे और लालू का यशगान करने वाले औंधे मुह गिर गए....जब बिहार में विकास की  हवा चलने का नतीजा सामने आया तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी को भी कहना पड़ गया की बिहार से ज्यादा उम्मीदे नही थी,नतीजे बत्ताते है की कांग्रेस को बिहार में नए सिरे से कोशिशे करनी होंगी....तीन चौथाई बहुमत लेकर नितीश ने साफ कर दिया की जनता विकास चाहती है,जो जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेगा वोट उसी को मिलेगा...पिछले पांच साल में इतना तो वक्त बदला की लोग अब  मरीज़ों को देखने घर से बाहर निकल सकते है... उन्हें अब ये डर नहीं रहेगा कि निकलते ही कोई उन्हे अगवा कर लेगा...किसान अब खेती में पैसा लगाने से झिझकेगे नहीं क्योंकि बेहतर सड़क और बेहतर क़ानून व्यवस्था अच्छे बाज़ारों तक उसकी पहुंच बढ़ाएगी.....चारो ओर नितीश के जयकारे लगने लगे,दूसरी ओर ललुआ राबड़ी के साथ ये कहने को मजबूर हो गया की बिहार में आलू भरा समोसा तो मिलेगा लेकिन अब ना लालू होगा,ना और राबड़ी ना साधू की चलेगी....  
इस बार बिहारियों के लिए दांव पर थी उम्मीद, उम्मीद कि शायद अब बिहार का राजनीतिक व्याकरण उनकी जात नहीं विकास के मुद्दे तय करेगी, उम्मीद इस बात की भी कि बिहारी होने का मतलब सिर्फ़ भाड़े का मजदूर बनना नहीं रहेगा, उम्मीद कि भारत ही नहीं दुनिया के किसी भी कोने में बिहारी कहलाना अब मान की बात होगी...........

2 comments:

  1. बिहार के टेस्ट मैच मे राजग ने कमाल की डबल सेंचुरी लगाते हुए गाँधी-पासवान-लालू को क्लीन बोल्ड करके सुपडा साफ कर दिया है,यह भारतीय लोकतंत्र मे यह एक नयी करवट है| भारतीय राजनीति मे दशको से चली आ रही बहु ध्रुवीय बिखराहट मे दोनों ही दलो ने रन बनाने की गति सहवाग-सचिन की तरह धमाकेदार रखी,लेकिन बिहार के लोगों ने बिहार में ही काम करने के लिए मैंडेट दिया है या इन नतीजों का राष्ट्रीय राजनीति बल्कि दूसरे प्रदेशों पर कुछ असर होगा यह आने वाला समय तय करेगा क्योकि क्रिकेट की तरह भारतीय राजनीति भी बहुत से कारको से परिणाम व् ईनाम तय करती है,जनता दल (यूनाइटेड) और भाजपा की गठबंधन सरकार को दूसरे कार्यकाल का जो स्पष्टतम जनादेश दिया है, वह ऐतिहासिक है। अब मौका है सपने पूरा करने का और यह तय कि अब विकास के ही मुद्देपर चुनाव लड़े जायेंगे
    http://media2say.com/index.php?option=com_content&view=article&id=734:2010-11-25-15-13-04&catid=80:2010-05-17-16-13-22&Itemid=165

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  2. वाह.. हम बिहारियों के दिल कि बात कह दी आपने..

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